प्रतापगढ़

शराब के नशे में दौड़ाई बस 150 की रफ्तार से: संविदा ड्राइवर की लापरवाही से बाल-बाल बचे यात्री

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प्रतापगढ़ रोडवेज डिपो में संविदा पर नियुक्त एक ड्राइवर ने शुक्रवार को यात्रियों की जान खतरे में डाल दी। चित्तौड़ से प्रतापगढ़ के बीच ड्राइवर ने न सिर्फ शराब के नशे में बस चलाई, बल्कि रफ्तार इतनी तेज थी कि यात्रियों की सांसे थम गईं। इस घटना ने राजस्थान की रोडवेज सेवाओं की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है।

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150 किमी/घंटा की रफ्तार और खौफनाक सफर

यह घटना शुक्रवार दोपहर करीब 12:30 बजे शुरू हुई, जब बस चित्तौड़ से रवाना हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ड्राइवर प्रभुलाल ने 120 से 150 किमी/घंटा की रफ्तार से बस दौड़ाई। इस दौरान बस कई बार नियंत्रण खो बैठी। छोटे मोड़ों पर हाई स्पीड से बस चलाना किसी बड़े हादसे को न्योता देने जैसा था।


मेडिकल जांच में नशे की पुष्टि

जैसे ही बस प्रतापगढ़ बस स्टैंड पहुंची, यात्रियों ने तुरंत ट्रैफिक पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने बिना देर किए बस को रुकवाया और ड्राइवर को हिरासत में ले लिया। मेडिकल रिपोर्ट में ड्राइवर के खून में 256 एमएल शराब की मात्रा पाई गई, जो तय सीमा से कहीं अधिक थी।


यात्री बोले – “जैसे मौत से लड़कर लौटे”

बस में सवार यात्री अरविंद कुमार ने बताया,

“ड्राइवर जैसे ही स्टार्ट हुआ, लगा कि हम किसी रेस में बैठ गए हैं। छोटी सादड़ी के पास बस अचानक हिली और कई यात्री सीट से गिर पड़े।”

कुछ यात्रियों को मामूली चोटें भी आईं। सफर के दौरान लोग डर के मारे सीट से हिल तक नहीं पाए।


तीन बार टला बड़ा हादसा

ट्रैफिक इंचार्ज ईश्वरलाल और दिनेश मेंनारिया ने बताया कि बस ने तीन अलग-अलग मौकों पर ऐसी रफ्तार और मोड़ पकड़ा कि बड़ा हादसा होते-होते बचा। यात्रियों की किस्मत अच्छी थी कि बस पलटी नहीं।


कार्रवाई की मांग में गरमाए यात्री

घटना के बाद यात्री खासे नाराज़ दिखे। उन्होंने रोडवेज प्रबंधन से तत्काल कड़ी कार्रवाई की मांग की।
उनकी मांगें थीं:

  • संविदा ड्राइवर प्रभुलाल को तत्काल बर्खास्त किया जाए
  • सभी संविदा ड्राइवरों की नियमित मेडिकल जांच हो
  • बसों में शराब जांच किट अनिवार्य की जाए

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रोडवेज प्रशासन का जवाब

रोडवेज प्रशासन ने कहा है कि घटना बेहद गंभीर है और उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी गई है। जांच के बाद कड़ी कार्रवाई का आश्वासन भी दिया गया है।


क्यों ज़रूरी है संविदा ड्राइवरों की स्क्रीनिंग?

यह घटना सिर्फ एक लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करती है। जब ड्राइवर नशे में हो और बस की कमान उसके हाथ में, तो सोचिए यात्रियों की जान कितनी असुरक्षित हो जाती है।

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निष्कर्ष

यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि रोडवेज को अपनी कार्यप्रणाली और संविदा कर्मचारियों की निगरानी प्रणाली में सुधार लाना होगा।

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